विज्ञान के साथ चलते हुए रूढीवादी परम्पराओं एवं सामाजिक कुरूतियों का त्याग करें - डीएम

जिला प्रशासन द्वारा महिला एवं अधिकारिता तथा शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में मेरी बेटी मेरा गौरव, महिला सशक्तिकरण एवं स्वच्छता पखवाड़ा के तहत मनाये जा रहे राजकीय माध्यमिक विद्यालय मौजा के नगला में जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें बेटी बेटे में भेदभाव नही करना चाहिए, लिंग भेद की मानसिकता का त्याग करते हुए बेटी एवं बेटा को समान अवसर प्रदान किए जाएं। सामाजिक कुरितियों को दूर करने में सभी अपना सहयोग प्रदान करें। सामाजिक कुरितियां दूर होने से सभी का विकास संभव हो सकेगा। अपनी बच्चियों की भावनाओं को समझते हुए आंगे पढायें। बेटियां अध्यापकों से शिक्षा अनुभव प्राप्त करते हुए आंगे बढे एवं आत्मरक्षा के लिए दिए जा रहे प्रशिक्षण के तहत विद्यालय की बालिकाओं द्वारा बेहतर तरीके से दिए गए डेमो की प्रंशसा की। उन्होने कहा कि किसी भी कार्य के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के साथ साथ बेहद जरूरी है कि निर्धारित किए गए लक्ष्यों को नियमित फॉलो करना और जो विद्यार्थी नियमों के हिसाब से चलेगा उसे अवश्य ही सफलता मिलेगी। उन्होने कहा कि होनहार बच्चों का सम्मान कर होसला बढाया जाये ताकि अन्य बच्चे उनसे प्रेरित हो सके। उन्होने कहा कि विज्ञान, नवाचार, जिज्ञासा एवं भावनाओं को प्रस्तुत करता है। उन्होने कहा कि विज्ञान हमें पूर्ण करता है और रूढ़िवादी धारणाओं से मुक्त करता है। इसलिए विज्ञान के साथ चलते हुए रूढीवादी परम्पराओं एवं सामाजिक कुरूतियों का त्याग करते हुए महिलाएं  घूंघट प्रथा को समाप्त करें। उन्होने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्राी अशोक गहलोत ने कुछ दिन पहले घूंघट प्रथा समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक किए जाने की बात कही थी। इस अवसर पर जिला कलक्टर ने सरपंच एवं गांव की अन्य महिलाओं को घंूघट न करने के लिए प्रेरित करते हुए घूंघट प्रथा समाप्त करने की सपथ दिलाई। उन्होने कहा कि आधुनिक समय में इस प्रकार की कुरीतियां और परंपराएं कहीं न कहीं हमारे सामाजिक पिछड़ेपन का प्रतीक हैं और इस कुप्रथा को हटाने के लिए सभी अपने-अपने परिवार से इसकी शुरुआत करें तथा धौलपुर को घूंघट मुक्त जिला बनाये जाने में अपना सहयोग दें। पुरानी रीति रिवाजों ने नारी के व्यक्तित्व को कुंठित करने में बहुत बड़ा योग दिया है, उनमें से एक है परदा। शिक्षा के बढते हुए प्रसार से अब परदा प्रथा को पिछड़ेपन और हानिकारक पक्ष को अब लोगो में समझे जाने लगा है। गांव की महिला सावित्राी बाई ने परदा प्रथा पर बोलते हुए कहा कि जिला कलक्टर साहब ने इस गांव में पधारकर नारी के साहस में जागृति पैदा करने की जो बात कही है वह अपने आप में उल्लेखनीय है। परम्परागत मान्यताओं के तहत भले ही शिक्षित व अशिक्षित महिला हो, परदा नारी के शील और लज्जा का प्रतीक बना हुआ है। लेकिन लज्जा परदा के अन्दर ऑखों में होनी चाहिए। कुमारी रवीना, कुमारी अंजली, कुमारी कोमल द्वारा भी शिक्षा, भू्रण हत्या, बेटी बचाओं बेटी पढाओ पर अपने विचार रखते हुए कहा कि परदा स्त्रियों में आत्मविश्वास की भावना को कम करता है और उसे असुरक्षित एवं असहाय बनाता है। महिलाएं सभी क्षेत्रों में काम करते हुए आंगे बढ रही है, महिलाओं में विद्या धन योग्यता, अभिवर्धन और अपनी प्रतिभा से समाज को लाभ पहुॅचाने की खुली छूट देनी चाहिए। भामाशाह बंगाली ठाकुर द्वारा विद्यालय को पानी शुद्धिकरण यंत्रा, वाटर कूलर कक्षा 1 से 10 तक के छात्रा छात्राओं को बैंच एवं मेज उपलब्ध कराने पर शॉल उढाकर सम्मानित किया गया एवं विद्यालय की छात्राओं द्वारा निबंध प्रतियोगिता, चित्राकला प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम में अच्छा कार्य करने पर सम्मानित किया गया। विद्यालय की अध्यापिका हैमलता शर्मा द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन गुरू गोविन्द सिंह शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर तहसीलदार भगवत शरण सिंह त्यागी, एसीपी बलभद्र सिंह, सहायक निदेशक सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग रामरज मीना, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी दामोदर लाल मीना, एडीपीसी समसा मुकेश गर्ग, सहित संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।


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