-- *वायरस से बचने के लिए समूह से बनाएं रखना दूरी, पौष्टिक और हल्का करें भोजन, मॉ करेगी मुराद पूरी*
-- *महामारी और रोग्यता से बचने के लिए है देवी पाठ, विधि -विधान से करोगे पूजा तो होंगे आपके भी ठाठ*
विजय पाण्डेय। हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2077 और आदिशक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र का आगमन कोरोना के साये में हुआ है। नवसंवत और चैत्र प्रतिपदा से ही सृष्टि का उद्भव माना जाता है। इस दौरान देश के विभिन्न इलाकों में यह पर्व भक्तिभाव से मनाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना के कहर ने आदिशक्ति की भक्ति पर ग्रहण लगा दिया है। मंदिर सूने पड़े हुए हैं लोग घरों में कैद बने हुए हैं। बावजूद इसके भक्ति का ज्वार हिलौरे मार रहा है।
हालांकि नववर्ष के आगमन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में पूरे देश में 21 दिन के लॉक डाउन का ऐलान कर दिया। ऐसे में लोग अपने घरों में या फिर सोसायटी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर आदिशक्ति की उपासना कर रहे हैं। कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए शासन,प्रशासन के साथ ही स्वयं सेवी संगठनों और धर्माचार्य भी नवरात्र पर लोगों को विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दे रहे हैं। पंडितों एवं धर्मगुरुओं का कहना है कि घर पर रहकर ही मानसिक जाप करें। भीडभाड़ न करें और समूह से दूरी बनाकर रखें। पौष्टिक एवं हल्का भोजन करें और मन यानी मानसिक रूप से मॉ भवानी की उपासना करें।
*नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान*
देश में चाहे जैसा संकट आ जाए लेकिन धार्मिक एवं आध्यात्मिक तौर पर उससे निपटने का समाधान है। महामारी नाश और आरोग्यता के लिए संपूर्ण देवी पाठ है। इस बात का उल्लेख श्री दुर्गा सप्तशती में है। विधि-विधान से इस पाठ के करने से महामारी का नाश होता है। यदि विधान से न कर सकें तो फिर सूक्ष्म रूप से भी इसे किया जा सकता है। इसके लिए
देवी कवच, अर्गला स्त्रोत अैर कीमकम, सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ… देहि सौभाग्यम-आरोग्यम् देहि मे परमं शिवम का जाप करें। जाप को एकांत रूप से मन ही मन करें।
दुर्गा सप्तशती में महामारी नाशक मंत्र
*रोगनशेषानपहंसि तुष्टा रुष्ट तु कामान् सकलानभीष्टान्।*
*त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।*
*ऊं सर्वमंगल मांगल्ये और ऊं जयंती मंगल |* … कालीमंत्र का जाप करें।
*व्रत के दौरान कम करें भोजन*
पंडितों एवं ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि देवी पाठ किसी भी अवस्था में बोलकर नहीं मानसिक रूप से करें। मानसिक रूप से किया जाने वाला जाप स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ठ रहेगा। नवरात्र के दौरान मॉ शाकुंभरी, पीतांबरा, कात्यायनी, कुष्मांड और चंद्रिका देवी की विशेष आराधना और उपासना करें। लेकिन उपवास रखने वाले लोग नौ दिन तक कम मात्रा में ही भोजन करें तो हितकर रहेगा। स्वादिष्ट होने के कारण ज्यादा ग्रहण न करें। भोजन में मखाने और आंवले के साथ ही फलों का सेवन ज्यादा करें। कुट्टू के आटे का उपयोग न करना बेहतर होगा। क्योंकि वायरस फैलने की स्थिति में इसका सेवन उचित नहीं है।
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